प्रतिरोधों का संयोजन (combination of resistances

प्रतिरोधों का संयोजन


प्रिय विद्यार्थियों आज हम प्रतिरोधों के संयोजन की बात करने वाले हैं अतः आज हम जानेंगे कि विभिन्न विद्युत उपकरणों जैसे मोबाइल टीवी रेडियो आदि के विद्युत परिपथ में विद्युत प्रतिरोध कैसे जुड़ा होता है। साथ ही हम विभिन्न क्रम में जुड़े हुए प्रतिरोधों के तुल्य प्रतिरोध की गणना करने के लिए सूत्र भी प्राप्त करेंगे
प्रतिरोधों का संयोजन दो प्रकार से किया जाता है श्रेणी क्रम संयोजन तथा समांतर क्रम संयोजन प्रतिरोधों को श्रेणी क्रम में तब जोड़ा जाता है जब हमें बढ़ा हुआ परिणामी प्रतिरोध प्राप्त करना होता है तथा इसके विपरीत प्रतिरोधों को समांतर क्रम में तब जोड़ते हैं जब परिणामी प्रतिरोध को घटाना होता है

(1) श्रेणी संयोजन (series combination)


            माना कि प्रस्तुत चित्र के अनुसार किसी परिपथ मे तीन प्रतिरोध PQ, QR तथा RS क्रमशः r₁, r₂ तथा r₃ हैं जिन्हें श्रेणी क्रम में जोड़ा गया है इसमें प्रथम प्रतिरोध PQ का दूसरा सिरा Q, द्वितीय प्रतिरोध QR के पहले सिरे Q, से तथा द्वितीय प्रतिरोध QR का दूसरा सिरा R, तृतीय प्रतिरोध RS के पहले सिरे R, से जोड़ा गया है इसी प्रकार से अनेक प्रतिरोधों को संबंधित किया जा सकता है प्रथम प्रतिरोध के पहले सिरे P, तथा अंतिम प्रतिरोध के दूसरे सीरे S, के बीच सेल या बैटरी (B) जोड़ दिया गया है


चूंकि प्रतिरोधों के इस संयोजन में धारा बहने के लिए केवल एक ही मार्ग है अतः सभी प्रतिरोधों से बहने वाली धारा समान होगी

माना परिपथ में बहने वाली धारा I है जिसके फलस्वरूप P, Q, R, वा S पर विभव क्रमशः V₁, V₂, V₃, V₄ है तब ओम के नियम के अनुसार,

प्रतिरोध r₁ के सिरों पर विभावान्तर (V₁ − V₂) = Ir₁

प्रतिरोधों r₂ के सिरों पर विभवान्तर (V₂ − V₃) = Ir₂

प्रतिरोध r₃ के सिरों पर विभवान्तर (V₃ − V₄) = Ir₃

इस प्रकार श्रेणी क्रम में जुड़े प्रतिरोधों के सिरों पर विभवान्तर अलग-अलग होता है तथा किसी प्रतिरोध के सिरों पर विभवांतर उसके प्रतिरोध के अनुक्रमानुपाती होता है।
स्पष्टतः इस संयोजन के सिरों पर कुल विभवांतर

V₁ − V₄ = (V₁  V₂) + (V₂ − V₃) + (V₃ − V₄)

V₁ − V₄ = Ir₁ + Ir₂ + Ir₃

V₁ − V₄ = I(r₁ + r₂ + r₃)               ....(1)

यदि इस संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R है, तब ओम के नियम से,

V₁ − V₄ = IR                                ....(2)

 अतः समीकरण (...1) और (...2) से

IR = I(r₁ + r₂ + r₃)
Or
R = r₁ + r₂ + r₃                     ....(3)

यदि n प्रतिरोध r₁,  r₂,  r₃,.....rn  श्रेणी क्रम में जुड़े हैं तो इनका तुल्य प्रतिरोध R = r₁ + r₂ + r₃+....... + rn होगा

अतः स्पष्ट है कि श्रेणी क्रम में जुड़े हुए प्रतिरोधों का तुल्य प्रतिरोध सभी जोड़े गए प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है तथा यह भी श्पष्ट है कि श्रेणी क्रम में तुल्य प्रतिरोध संयोजन में प्रयुक्त अधिकतम प्रतिरोध से सदैव अधिक होगा

(2) समान्तर संयोजन (Parallel combination)


      माना की प्रस्तुत चित्र के अनुसार तीन प्रतिरोध क्रमशः r₁ , r₂ तथा r₃ हैं जिन्हें समांतर क्रम में जोड़ा गया है प्रतिरोधों को इस क्रम में जोड़ने के लिए इसमें सभी प्रतिरोधों के एक और के सिरे एक बिंदु P, से तथा दूसरी और के सिरे दूसरे बिंदु Q, से जोड़े गए हैं तथा परिपथ मे धारा बहाने के लिए बिंदुओं P वा Q के मध्य सेल या बैटरी B, लगाई गई है।


प्रतिरोधों के इस संयोजन में परिपथ की संपूर्ण धारा I बिंदु P, पर आकर इन प्रतिरोधों में विभाजित हो जाती है यदि प्रतिरोध r₁ , r₂ तथा r₃ से बहने वाली विद्युत धारा क्रमशः I₁ , I₂ तथा I₃ हैं तो स्पष्टतः

 I = I₁ + I₂ + I₃           .....(4)

पुनः माना कि बिंदु P का विभव V₁ तथा बिंदु Q का विभव V₂ है तब प्रतिरोधों के समांतर संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों के मध्य विभवांतर सामान होगा या बिंदु P तथा बिंदु Q के बीच के विभवांतर (V₁ - V₂) के बराबर होगा। ध्यातव्य है कि यहाँ अलग-अलग प्रतिरोधों से प्रवाहित धारा अलग-अलग होती है तब ओह्म के नियमानुसार (V = IR) करने पर

V₁ - V₂ = I₁ r₁

V₁ - V₂ = I₂ r₂

V₁ - V₂ = I₃ r₃

अतः प्रतिरोध r₁ , प्रतिरोध r₂ तथा प्रतिरोध r₃ मे धारा क्रमशः

I₁ = (V₁ - V₂) / r₁       .....(5.1)

I₂ = (V₁ - V₂) / r₂       .....(5.2)

I₃ = (V₁ - V₂) / r₃       .....(5.3)

स्पष्ट है कि प्रतिरोधों के समांतर संयोजन में किसी प्रतिरोध से प्रवाहित धारा उसके प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती होती है।

अब यदि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R है तो

V₁ - V₂ = IR 
Or 
I = (V₁ - V₂) / R       ......(6)

अब समी. ...(5.1)...(5.2)...(5.3) वा समी. ...(6) से I₁ , I₂ , I₃ तथा I₁ का मान समी. ...(4) मे रखने पर-

(V₁ - V₂) / R = (V₁- V₂) / r₁  + (V₁ - V₂) / r₂ + (V₁ - V₂) / r₃
Or
1/R = 1/r₁ + 1/r₂ + 1/r₃       .....(7)

व्यापक रूप में यदि n प्रतिरोध r₁ , r₂ ,r₃ ,....., rn समांतर क्रम में संबंधित हैं तब

1/R = 1/r₁ + 1/r₂ + 1/r₃.....+ 1/rn

स्पष्ट है कि प्रतिरोधों के समांतर संयोजन में जोड़े गए प्रतिरोधों के तुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम, पृथक पृथक प्रतिरोधों के व्युत्क्रमों के योग के बराबर होता है। तथा संयोजन का तुल्य प्रतिरोध इस संयोजन में जोड़े गए न्यूनतम प्रतिरोध से भी कम होता है।

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