विद्युत प्रतिरोध (Electrical Resistance)

विद्युत प्रतिरोध


प्रिय पाठकों हमने चालकों में विद्युत धारा के प्रवाह को पढ़ते समय यह जाना है कि जब किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर लगाया जाता है तो उसमें से होकर विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है और यह भी जाना था कि किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाह के लिए मुक्त इलेक्ट्रॉनों का क्या योगदान रहता है परंतु प्रत्येक चालक में विद्युत धारा प्रवाह होने के समय धारा के प्रवाह में चालक द्वारा कुछ न कुछ अवरोध या बाधा डाली जाति है यह बाधा या अवरोध लंबे या पतले चालक में अधिक तथा छोटे या मोटे चालक में कम होती है धारा के प्रवाह में डाली गई यह बाधा कई और कारकों से प्रभावित होती है यह विद्युत धारा मे रुकावट पैदा करने वाला गुण होता है।आइए जानते हैं वास्तव में ऐसा क्यों होता है  इसकी खोज जार्ज ओम ने सन् 1820 ईं. में की थी। आइए जानते हैं वास्तव में ऐसा क्यों होता है।


विद्युत प्रतिरोध क्या है?


           चालक द्वारा विद्युत धारा के प्रवाह में डाली गई रुकावट या बाधा को चालक का प्रतिरोध कहते हैं। वास्तव में, चालक के सिरों पर विभवांतर लगाने पर विद्युत क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रान त्वरित होने लगते हैं यह इलेक्ट्रान अपने मार्ग में आने वाले परमाणुओं से टकराते हुए एक निश्चित औसत वेग (अनुगमन वेग) से आगे बढ़ते हैं इस प्रकार इलेक्ट्रॉनों को एक बाधा का सामना करते हुए आगे बढ़ना होता है चालक द्वारा उत्पन्न इस बाधा को ही चालक का प्रतिरोध कहते हैं विद्युत रोधी या कुचालक पदार्थों मे चूंकी इलेक्ट्रॉन प्रवाह संभव नहीं है, अतः विद्युतरोधी या कुचालक का प्रतिरोध अनंत होता है किसी चालक का प्रतिरोध उसके सिरों पर आरोपित विभवांतर तथा उस में बहने वाली धारा के अनुपात के बराबर होता है अर्थात् यदि किसी चालक के सिरों के मध्य आरोपित विभवांतर V तथा चालक में प्रवाहित धारा I हो तब चालक का-

प्रतिरोध = विभवांतर/धारा

या
R = V/I

प्रतिरोध का मात्रक:-


             यदि विभवांतर V को वोल्ट में तथा धारा I को एंपियर में नापें तो प्रतिरोध का मात्रक ओह्म होगा ओह्म को ग्रीक अक्षर Ω (ओमेगा) से व्यक्त किया जाता है अतः

1ओह्म = 1 वोल्ट/1एंपियर

जिसका मतलब यह हुआ कि यदि किसी चालक के सिरों पर 1 वोल्ट विभांतर लगाने पर चालक में 1 एंपियर धारा बहने लगे तो उसका प्रतिरोध 1 ओह्म होता है प्रतिरोध एक अदिश राशि है।


प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारक:-


            प्रयोगों द्वारा यह स्पष्ट हो चुका है कि किसी चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है चालक के पदार्थ पर, चालक की लंबाई पर, चालक के अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल पर, चालक के ताप पर,

  • चालक के पदार्थ पर निर्भरता-

समान लंबाई तथा समान अनुप्रस्थ परिच्छेद होने पर जिस चालक के पदार्थ में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक होती है उसका प्रतिरोध कम होता है।

  • चालक की लंबाई पर निर्भरता-

चालक की लंबाई बढ़ाने से उसमें मुक्त इलेक्ट्रॉनों की धन आयनों से होने वाले संघट्टों की संख्या बढ़ जाती है फल स्वरुप उसका प्रतिरोध भी बढ़ जाता है। चालक का प्रतिरोध R उसकी लंबाई L के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात् 

R ɑ L

  • चालक के अनुप्रस्थ परिच्छेद के क्षेत्रफल पर-

चालक का अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल बढ़ाने पर मुक्त इलेक्ट्रॉनों की धन आयनों से होने वाले टक्कर की संख्या घट जाती है, फल स्वरुप उसका प्रतिरोध भी कम हो जाता है। चालक का प्रतिरोध R उसके अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल A के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात्
 
R ɑ 1/A

  • चालक के ताप पर निर्भरता-

चालक का ताप बढ़ाने पर इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग बढ़ जाता है जिससे संघट्टों की संख्या बढ़ जाती है, फल स्वरूप चालक का प्रतिरोध भी बढ़ जाता है।



विशिष्ट प्रतिरोध:-


               हमने देखा कि किसी चालक तार का प्रतिरोध तार के पदार्थ पर निर्भर होने के साथ-साथ उसकी लंबाई के अनुक्रमानुपाती होता है तथा उस की अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अतः

R ɑ L तथा R ɑ 1/A

दोनों प्रतिबंधों को सम्मिलित रूप में लिखने पर

ɑ L/A
Or
R = ρ(L/A)


जहां ρ एक नियतांक हैं जिसे धातु या तार के पदार्थ की प्रतिरोधकता या विशिष्ट प्रतिरोध कहते हैंं स्पष्टता विशिष्ट प्रतिरोध चालक के पदार्थ का लाक्षणिक गुण है इसका मान केवल चालक के पदार्थ व उसके ताप पर निर्भर करता है अतः किसी चालक पदार्थ के लिए ρ का मान कम होगा तथा कुचालक पदार्थों के लिए  ρ का मान अधिक होगा जबकि पूर्ण सुचालक के लिए  ρ का मान शून्य तथा पूर्ण कुचालक के लिए ρ का मान अनंत होगा
विशिष्ट प्रतिरोध का मात्रक (ओम × मीटर) होता है

प्रतिरोध का उपयोग:-


         दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जैसे मोबाइल टीवी रेडियो या अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामग्री में प्रतिरोध का उपयोग किया जाता है। चांदी तांबा एलुमिनियम आदि धातुओं की प्रतिरोधकता बहुत कम होती है अतः इनसे चालक तार बनाए जाते हैं इसके विपरीत नाइक्रोम मैग्नीज कांस्टेंट आदि पदार्थों के प्रतिरोधक तार तथा ऊष्मक तार बनाए जाते हैं क्योंकि इनका प्रतिरोध उच्च होता है जैसे हीटर की स्प्रिंग विद्युत बल्ब का फिलामेंट आदि
         

उपरोक्त चित्र में व्यापारिक रूप से उपलब्ध प्रतिरोध को दर्शाया गया है जिनका उपयोग आप अपने दैनिक जीवन में उपयोग आने वाले विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे चार्जर रेडियो एलईडी बल्ब आदि मे देख सकते हैं

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