बिद्युत सेल
मित्रों आप सभी अपने कार मोटरसाइकिल या रेडियो मोबाइल घड़ी आदि जैसे उपकरणों में लगने वाले विद्युत सेल या बैटरी से परिचित होंगे पर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर यह काम कैसे करते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं आपने यह भी देखा होगा कि हम किसी बैटरी में पानी डालते हैं तथा कोई कोई बैटरी सूखी होती है आइए आज इन्हीं प्रश्नों का उत्तर जानने की कोशिश करते हैं लेकिन सबसे पहले यह जानते हैं कि आखिर सेल या बैटरी में क्या अंतर है आपकी जानकारी के लिए बता दें की सेल या बैटरी में कुछ खास अंतर नहीं है जब हम दो या दो से अधिक सेलोें को एक खास क्रम में जोड़ देते हैं तब उसे बैटरी कहते हैं
बिद्युत सेल की परिभाषा:-
विद्युत सेल एक ऐसी युक्ति है जो रासायनिक क्रिया द्वारा किसी परिपथ में आवेश प्रवाह अर्थात विद्युत धारा को अनवरत या लगातार बनाए रखती है
किसी विद्युत सेल में भिन्न-भिन्न धातुओं की दो छडे़ं होती हैं जिन्हें इलेक्ट्रोड कहते हैं ये इलेक्ट्रोड एक विशेष घोल में डूबे रहते हैं इस घोल को विद्युत-अपघट्य कहते हैं इलेक्ट्रोडोंं को विद्युत अपघट्य में डुबोने पर विद्युत अपघट्य के ऋण आयन एक इलेक्ट्रोड की ओर चलते हैं तथा धनायन दूसरे इलेक्ट्रोड की ओर चलते हैं जिसके फलस्वरूप एक इलेक्ट्रोड धन आवेशित हो जाता है तथा दूसरा इलेक्ट्रोड ऋण आवेशित हो जाता है जब दोनों इलेक्ट्रोडों को किसी तार से जोड़ा जाता है तो तार में आवेश प्रवाहित होने लगता है अर्थात तार में धारा बहने लगती है सेल के भीतर विद्युत अपघट्य में ऐसी रासायनिक क्रिया होती है जिससे कि इलेक्ट्रोडों पर आवेश की पूर्ति होती रहती है तथा तार में आवेश का प्रवाह लगातार बना रहता है इस प्रकार सेल रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता रहता है
सेल से लगे बाह्य परिपथ में ऋणात्मक इलेक्ट्रोड जिसे कैथोड भी कहते हैं से इलेक्ट्रॉन निकलकर धनात्मक इलेक्ट्रोड जिसे एनोड कहते हैं पर जाते हैं सेल के भीतर विद्युत अपघट्य की रासायनिक क्रिया के फलस्वरुप एनोड से इलेक्ट्रॉन निकल कर कैथोड पर पहुंचते रहते हैं परंतु यहां एक बात ध्यान देने योग्य है कि जिस प्रकार हमने धातुओं में विद्युत चालन को पढ़ते समय जाना था की किसी तार में विभांतर आरोपित करने पर मुक्त इलेक्ट्रॉन चलने लगते हैं अतः वहां विद्युत चालन के लिए इलेक्ट्रॉन उत्तरदाई थे परंतु वास्तव में विद्युत अपघटन में इलेक्ट्रॉन एक इलेक्ट्रोड से निकलकर दूसरे इलेक्ट्रोड मे नहीं जाते है बल्कि ऋण आयन चलते हैं अतः विद्युत अपघट्य में विद्युत चालन के लिए ऋण आयन उत्तरदाई होते है इस प्रकार परिपथ पूर्ण होने पर इलेक्ट्रॉन पूरा चक्कर लगाते हैं तथा बाह्य परिपथ में तार का संबंध तोड़ देने पर अंदर की रासायनिक क्रिया भी रुक जाती है और धारा का प्रवाह बंद हो जाता है
बिद्युत सेल के प्रकार:-
विद्युत सेल मुख्यतः निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं-
- प्राथमिक सेल
- द्वितीयक सेल
- प्राथमिक सेल - ये सेल रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं इसमें होने वाली रासायनिक क्रिया अनुत्क्रमणीय होती है उदाहरण के लिए साधारण वोल्टीय सेल, लेक्लांसी सेल, डेनियल सेल, शुष्क सेल, आदि प्राथमिक सेल है जिन्हें पुनः आवेशित नहीं किया जा सकता है इनमें से आप शुष्क सेल से भलीभांति परिचित होंगे एक बार टॉर्च का सेल खत्म हो जाने के बाद आप उसे चार्ज नहीं कर सकते अतः फेंक देते हैं तथा टार्च में नया सेल लगाते हैं एक बात यहां ध्यान देने योग्य यह है की इन सेलों से आप उच्च धारा नहीं ले सकते है
- द्वितीयक सेल - इन्हें पहले आवेशित करने के लिए विद्युत ऊर्जा देते हैं जिससे यह विद्युत ऊर्जा किसी रासायनिक क्रिया द्वारा विद्युत अपघट्य में रासायनिक ऊर्जा के रूप में संचित हो जाती है अब सेल से धारा लेने पर अन्य रासायनिक क्रिया उत्क्रमणीय द्वारा यह संचित रासायनिक ऊर्जा पुनः विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है यह सरल भाषा में कहें तो आप इन्हें बार-बार चार्ज करके उपयोग कर सकते हैं उदाहरण के लिए सीसा संचायक सेल, नी-फे सेल, आदि द्वितीयक सेल के उदाहरण है इन्हें पुनः आवेशित किया जा सकता है इन्हें संचायक सेल (स्टोरेज सेल) भी कहते हैं इन सेलों से आप उच्च धारा ले सकते हैं
कुछ प्रमुख सेलो का विवरण:-
- साधारण वोल्टीय सेल- इस सेल में तांबे का एनोड होता है तथा कैथोड जस्ते का होता है विद्युत अपघट्य के रूप में तनु H₂SO₄ का प्रयोग किया जाता है इस सेल का विद्युत वाहक बल 1.08 वोल्ट होता है
- लक्लांशी सेल- इसमें एनोड कार्बन का बना होता है तथा कैथोड पारा लेपित जस्ता होता है तथा विद्युत अपघट्य के रूप में NH₄Cl के घोल का का प्रयोग किया जाता है इस सेल का विद्युत वाहक बल 1.5 वोल्ट होता है
- शुष्क सेल- इस सेल में एनोड कार्बन का होता है तथा कैथोड जस्ता का होता है विद्युत अपघट्य के रूप में NH₄Cl लुग्दी का प्रयोग किया जाता है तथा इस सेल का विद्युत वाहक बल 1.5 वोल्ट होता है
- डेनियल सेल- इस सेल में तांबे का एनोड होता है तथा कैथोड पारा लेपित जस्ता होता है विद्युत अपघट्य के रूप में तनु H₂SO₄ का उपयोग किया जाता है तथा इस सेल का विद्युत वाहक बल 1.08 वोल्ट होता है
- कैडमियम सेल- इस सेल में कैडमियम अमलगम का बना हुआ है एनोड होता है तथा पारा निर्मित कैथोड होता है विद्युत अपघट्य के रूप में CdSO₄ का प्रयोग किया जाता है तथा इस सेल का विद्युत वाहक बल 1.0 वोल्ट होता है
- सीसा संचायक सेल- इस सेल में pbO₂ का एनोड होता है तथा pb (स्पंजी) कैथोड होता है विद्युत अपघट्य के रूप में तनु H₂SO₄ का प्रयोग किया जाता है तथा इस सेल का विद्युत वाहक बल 2.2 वोल्ट होता है
- क्षारीय सेल- इस सेल में Ni तथा NiO₂ का एनोड होता है एवं कैथोड के लिए fe₂O₃ का प्रयोग किया जाता है विद्युत अपघट्य के रूप में तनु KOH प्रयुक्त होता है इस सेल का विद्युत वाहक बल 1.35 वोल्ट होता है
प्राथमिक सेल तथा द्वितीयक सेल में अंतर:-
इनमे बिन्दुवार निम्न लिखित अन्तर श्पष्ट किए जा सकते हैं
- प्राथमिक सेल- इनसे केवल बाह्य परिपथ में धारा ली जा सकती है अर्थात इन्हें केवल निरावेशित किया जा सकता है सरल भाषा में यह चार्ज नहीं किए जा सकते हैं
- द्वितीयक सेल- इनसे बाय परिपथ में धारा ली जा सकती है तथा इनमें से होकर धारा बहाई भी जा सकती है अर्थात इन्हें निरावेशित तथा आवेशित दोनों किया जा सकता है, जैसे आपके मोबाइल की बैटरी
- प्राथमिक सेल- यह सेल एक बार पूर्णता निरावेशित यानी डिस्चार्ज हो जाने के बाद तब तक उपयोग में नहीं लाया जा सकता जब तक कि इसके इलेक्ट्रोड तथा विद्युत अपघट्य पुनः ना बदले जाएं
- द्वितीयक सेल- यह सेल निरावेेशित हो जाने के बाद पुनः बाह्य विद्युत स्रोत से धारा भेजकर आवेशित या चार्ज किए जा सकते हैं
- प्राथमिक सेल- इन सेलों में रासायनिक क्रिया अनुत्क्रमणीय होती है
- द्वितीयक सेल- इन सेलों में रासायनिक क्रिया उत्क्रमणीय होती है
- प्राथमिक सेल- इन में केवल रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है
- द्वितीयक सेल- इन में आवेशन के दौरान विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदला जाता है तथा निरावेशन के दौरान रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है
- प्राथमिक सेल- इनका आंतरिक प्रतिरोध अधिक होता है
- द्वितीयक सेल- इनका आंतरिक प्रतिरोध कम होता है
- प्राथमिक सेल- इन से अधिक प्रबल धारा नहीं प्राप्त की जा सकती है
- द्वितीयक सेल- इन से प्रबल धारा ली जा सकती है
- प्राथमिक सेल- इन के उदाहरण साधारण वोल्टीय सेल लेक्लांशी सेल शुष्क सेल डेनियल सेल है
- द्वितीयक सेल- इन के उदाहरण सीसा संचायक सेल नी-फे सेल हैं
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