सौर ऊर्जा (Solar energy)

सौर ऊर्जा


सौर ऊर्जा क्या है?

       वह उर्जा जो सीधे सूर्य से विकिरण के रूप मे प्राप्त की जाती है "सौर ऊर्जा" कहलाती है। सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा के कारण ही पृथ्वी पर मौसम एवं जलवायु का परिवर्तन होता है, अतः सौर ऊर्जा ही इस धरती पर सभी प्रकार के जीवों और जीवन के लिए उत्तरदाई है इतना ही नहीं, आज हम जो कार्बनिक ईंधन जैसे कोयला या पेट्रोलियम उपयोग में लाते हैं वह सब सूर्य के कारण ही उपलब्ध है। सौर ऊर्जा के आभाव में हमारी पृथ्वी ज्यादा दिन जीवन धारण नही कर सकती है क्यों कि इसी प्रकाशीय ऊर्जा से प्रकाश-संश्लेषण नामक एक महत्वपूर्ण जैव-रासायनिक अभिक्रिया होती है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है।

सौर ऊर्जा को दैनिक जीवन मे विविध प्रकार से प्रयोग में लाया जाता है जैसे सीधे ताप के रूप में या सूर्य की उर्जा को प्रकाश-विद्युत सेल की सहायता से विद्युत उर्जा में बदल कर हालांकि वर्तमान आवश्यकताओं को देखते हुए सौर विद्युत ऊर्जा को ही मुख्य रूप से सौर उर्जा के टर्म के रूप में जाना जाता है। सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा मे कई महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं जो इसे अत्यन्त आकर्षक बनाती हैं। इनमें इसका अत्यधिक विस्तारित होना, अप्रदूषणकारी होना वा अक्षय होना प्रमुख हैं। सूर्य से प्रति सेकंड लगभग 3.86 × 10²⁶ जूल ऊर्जा निकलती है। प्रतिदिन सम्पूर्ण पार्थिव भूभाग पर इतनी सौर ऊर्जा आती है जो कि विश्व की संपूर्ण विद्युत खपत से कई गुना अधिक है। साफ धूप वाले दिनों में प्रतिदिन का औसत सौर-ऊर्जा का मान 4 से 7 किलोवाट प्रति घंटा वर्ग मीटर तक होता है। भारत जैसेे देश में वर्ष भर में लगभग 250 से 300 दिन ऐसे होते हैं जब सूर्य की रोशनी पूरे दिन भर उपलब्ध रहती है अतः सिर्फ भारत मे इतनी सौर ऊर्जा प्राप्त होती है जो कि विश्व की बिजली खपत से कई गुना ज्यादा है ऐसे मे इसका भरपूर फायदा उठाया जा सकता है।


सौर ऊर्जा के उपयोग:-


      सौर ऊर्जा हमे रोशनी व उष्मा दोनों रूपों में प्राप्त होती है, सौर ऊर्जा का उपयोग कई प्रकार से किया जा सकता है। सौर उष्मा का उपयोग ऊष्मा के रूप में किसी चीज को सुखाने या पानी को गरम करने, खाना पकाने, जल परिष्करण आदि कार्यो के लिए किया जा सकता है तथा फोटोवोल्टाइक सेल के द्वारा विद्युत ऊर्जा उत्पादन हेतु किया जा सकता है। सौर प्रकाश को बिजली में रूपान्तरित करके रोशनी प्राप्त की जा सकती है, प्रशीतलन का कार्य किया जा सकता है, दूरभाष, टेलीविजन, रेडियो कम्प्यूटर आदि चलाए जा सकते हैं, तथा पंखे व जल-पम्प आदि भी चलाए जा सकते हैं।

सोलर कुकर-

            सौर उष्मा द्वारा खाना पकान के लिए सोलर कुकर विकसित किया गया है यह सौर विकिरण पर आधारित है अतः ठंडी के दिनों मे भी भोजन बनाने मे सक्षम है इससे विभिन्न प्रकार के परम्परागत ईंधनों की बचत होती है। बाक्स पाचक, वाष्प-पाचक व उष्मा भंडारक प्रकार के एवं भोजन पाचक, सामुदायिक पाचक आदि विभिन्न प्रकार के सौर-पाचक विकसित किए जा चुके हैं। हालांकि इसकी अपनी सीमाएं हैं क्योंकि धूप ना होने की स्थिति में यह काम नहीं करता

जल का उष्मन-

         सौर ऊर्जा का उपयोग पानी को गरम करने के लिए किया जाता है। सौर-उष्मा पर आधारित इस प्रौद्योगिकी का उपयोग घरेलू, व्यापारिक व औद्योगिक इस्तेमाल के लिए जल को गरम करने में किया जा रहा है। पिछले दो दशकों से सौर जल-उष्मक तैयार किए जा रहे हैं। आज लाखों वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रफल के सौर जल उष्मा संग्राहक संस्थापित किए जा चुके हैं जो प्रतिदिन करोड़ों लीटर जल को 60-70° से० तक गरम करते हैं। भारत सरकार के अपारम्परिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय द्वारा इस ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहन देने हेतु प्रौद्योगिकी विकास, प्रमाणन, आर्थिक एवं वित्तीय प्रोत्साहन, जन-प्रचार आदि कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके फलस्वरूप प्रौद्योगिकी अब लगभग ठीक तरह से फल रही है तथा इसकी दक्षता और आर्थिक लागत में भी काफी सुधार हुआ है। बड़े पैमाने पर परिक्षणों द्वारा यह साबित हो चुका है कि आवासीय भवनों, रेस्तराओं, होटलों, अस्पतालों व विभिन्न उद्योगों के लिए यह एक उचित प्रौद्योगिकी है।

सौर विद्युत-

       सौर फोटो वोल्टायिक सेल के माध्यम से सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा मे परिवर्तित किया जाता है। सौर ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सूर्य की रोशनी को सेमीकन्डक्टर की बनी सोलर सेल पर डाल कर बिजली पैदा की जाती है। इस प्रणाली में सूर्य की रोशनी से सीधे बिजली प्राप्त कर कई प्रकार के कार्य सम्पादित किये जा सकते हैं। जैसे:
सौर लालटेन- सौर लालटेन एक हल्का कहीं भी ले जाया जा सकने वाला फोटो वोल्टायिक यंत्र है। इस लालटेन मे रख रखाव रहित बैटरी, इलेक्ट्रानिक नियंत्रक प्रणाली, व 6-7 वाट का छोटा लैम्प तथा एक 10 वाट का फोटो वोल्टायिक माड्यूल होता है। यह घर के अन्दर व घर के बाहर प्रतिदिन 4 से 5 घंटे तक प्रकाश दे सकने में सक्षम है।
सौर जल-पम्प- फोटो वोल्टायिक प्रणाली द्वारा प्राप्त विद्युत से पीने व सिंचाई के लिए कुओं आदि से जल को मोटर द्वारा पम्प किया जाता है यह भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए एक अत्यन्त उपयोगी प्रणाली हो सकती है। सामान्य जल पम्प प्रणाली में 900 वाट का फोटो वाल्टायिक माड्यूल, एक मोटर युक्त पम्प एवं अन्य आवश्यक उपकरण लगे होते हैं।
प्रकाश के लिए- ग्रामीण वा पहाड़ी इलाकों में जहां लंरचना खराब है वहां सार्वजनिक स्थानों, गलियों, सड़कों आदि पर प्रकाश करने के लिए ये उत्तम प्रकाश स्रोत होते हैं। इसमें 74 वाट का एक फोटो वोल्टायिक माड्यूल, एक 75 अम्पीयर-घंटा की कम रख-रखाव वाली बैटरी तथा 11 वाट का एक फ्लुओरेसेन्ट लैम्प होता है। शाम होते ही यह अपने आप जल जाता है और प्रात:काल स्वतः बुझ जाता है।
औद्योगिक विद्युत आपूर्ति- बड़े पैमाने पर सोलर प्लेटों को लगा कर के सोलर प्लांट द्वारा बड़ी मात्रा मे विद्युत का उत्पादन किया जाता है और निजी अथवा सार्वजनिक क्षेत्रों को विद्युत आपूर्ति की जाती है इस विधि के द्वारा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना स्वच्छ तथा सस्ती ऊर्जा प्राप्त की जाती है हालाकि इस क्षेत्र में अभी सुरूआत मात्र हुई है अतः सतत विकास के लक्ष्य को पाने के लिए इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

सौर ऊर्जा के लाभ:-


  • अक्षय ऊर्जा- सौर ऊर्जा कभी खत्म न होने वाला ऊर्जा संसाधन है और यह नवीकरणीय संसाधनों मे उपलब्ध सबसे बेहतर विकल्प है।


  • अप्रदूषण कारी- सौर ऊर्जा वातावरण के लिये भी लाभकारी है। इसे उपयोग करने के लिए वातावरण में कार्बन-डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक रसायन या गैसें नहीं छोड़नी पड़तीं, जिससे वातावरण प्रदूषित नहीं होता है। अतः यह संधारणीय विकास का हिस्सा है।

  • बहु उद्देशीय- सौर ऊर्जा अनेक उद्देश्यों के लिये प्रयोग की जाती है, इनमें उष्णता के जैैैसे पानी गरम करना, सोलर कुकर से भोजन पकाना, और फोटो सेेल से विद्युत उत्पादन करने आदि का काम शामिल है।

  • आसान स्थापना- एक सौर ऊर्जा निकाय को कहीं भी स्थापित किया जा सकता है। सौर उर्जा के पैनलों (सौर ऊर्जा की प्लेट) को आसानी से घर की छत मे खाली अनुपजााऊ जमीन, या मेज कहीं पर भी रखा जा सकता है।

  • सस्ता- सुुुुुुरुआती खर्चों को नजर अन्दाज़ किया जाय तो यह ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तुलना में काफी सस्ता भी है। सौर पावर प्लांट कुछ ही सालों बाद अपनी लागत के बराबर मुफ्त और स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करते हैं।


भारत में सौर ऊर्जा की स्थिति:-


           भारत में सौर ऊर्जा के स्थिति की बात करें तो वर्तमान में भारत समृद्ध सौर ऊर्जा संसाधनों वाला देश है। चूँकि भारत एक उष्ण-कटिबंधीय देश है अतः उष्ण- कटिबंधीय देश होने के कारण हमारे यहाँ वर्ष भर मे लगभग 275-325 दिन सौर विकिरण प्राप्त होता है, जिसमें सूर्य प्रकाश के लगभग 3000 घंटे शामिल हैं। भारतीय भू-भाग पर पाँच हज़ार लाख किलोवाट घंटा प्रति वर्गमीटर के बराबर सौर ऊर्जा आती है। अतः संभावनाओं को देखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2022 के अंत तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसमे 100 गीगावाट, अकेले सौर ऊर्जा से प्राप्त करना है। सौर ऊर्जा के उत्पादन में सर्वाधिक योगदान रूफटॉप सौर उर्जा का 40 प्रतिशत और सोलर पार्क का 40 प्रतिशत है। यह देश में समस्त बिजली उत्पादन की कुल क्षमता का 16 प्रतिशत है। भारत सरकार का लक्ष्य इसे बढ़ाकर स्थापित क्षमता का 60 प्रतिशत करना है। वर्ष 2035 तक देश में सौर ऊर्जा की मांग कई गुना तक बढ़ने की संभावना है तथा वर्ष 2040 तक भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ सकता है। भविष्य की इस मांग को देखते हुए तथा सतत विकास को प्राप्त करने के लिए सौर ऊर्जा के क्षेत्र में ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है। विगत एक दशक के दौरान देश की बढ़ती आबादी, आधुनिक सेवाओं तक पहुँच तथा विद्युतीकरण की दर तेज होने और जीडीपी में वृद्धि जैसे कारकों की वजह से ऊर्जा की मांग तेज़ी से बढ़ रही है और इसे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के बजाय सौर ऊर्जा के जरिये पूरा करना अर्थिक और पर्यावरणीय दोनो पहलुओं के लिए अच्छा कहा जा सकता है। देश की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिये न केवल बुनियादी ढाँचा मज़बूत करने की ज़रूरत है, बल्कि ऊर्जा के नए स्रोतों को तलाशना भी ज़रूरी है। ऐसे में, सौर ऊर्जा क्षेत्र भारत के ऊर्जा उत्पादन और मांगों के बीच की दूरी को संतुलित कर सकता है।

सरकार की पहल -

      राष्‍ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन (National Solar Mission) का उद्देश्‍य फॉसिल आधारित ऊर्जा विकल्‍पों के साथ सौर ऊर्जा को प्रतिस्पर्द्धी बनाने के अभीष्ट उद्देश्‍य के साथ विद्युत उत्पादन एवं अन्य क्रियाकलापों के लिये सौर ऊर्जा के विकास एवं उपयोग को बढ़ावा देना है इस मिशन का लक्ष्‍य दीर्घकालिक नीति, बृहद परिनियोजन लक्ष्‍यों, महत्त्‍वाकांक्षी शोध कार्यों तथा आवश्यक कच्‍चे माल वा अवयवों के घरेलू उत्‍पादन के माध्‍यम से विकास कार्य कर के सौर ऊर्जा सृजन की लागत को कम करना है।

प्रयास योजना(PRAYAS-Pradhan Mantri Yojana for Augmenting Solar Manufacturing)- भारत सरकार ने देश की प्रकाश से विद्युत उत्पादन करने वाली फोटोवोल्टिक क्षमता को बढ़ाने के लिये सोलर पैनल निर्माण उद्योग को दो सौ दस रुपए की आर्थिक सहायता देने की योजना बनाई है। प्रयास नामक इस योजना के अन्तर्गत सरकार ने वर्ष 2030 तक कुल ऊर्जा का 40 प्रतिशत हरित ऊर्जा से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।

सोलर रूफटॉप योजना के तहत ग्रिड कनेक्‍टेड छोटे सौर ऊर्जा संयंत्र कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किया जा रहा है, इसके अन्तर्गत सामाजिक, सरकारी , संस्‍थागत क्षेत्रों और आवासीय माकानों में प्रोत्‍साहन के जरिये 2100 मेगावाट तक की क्षमता की स्थापना की जा रही है। इसके तहत सामान्‍य श्रेणी वाले राज्‍यों में आवासीय, संस्‍थागत एवं सामाजिक क्षेत्रों में इस तरह की परियोजनाओं के लिये बेंचमार्क लागत के 30 प्रतिशत तक और विशेष श्रेणी वाले राज्‍यों में लागत के 70 प्रतिशत तक की केंद्रीय वित्‍त सहायता मुहैया कराई जा रही है।

चुनौतियाँ-

  • सौर ऊर्जा प्लेटों को स्थापित करने के लिये ऐसी खाली ज़मीन की आवश्यकता होती है जहां सूर्य की रौशनी पूरे दिन भर रहती हो परन्तु भारत जैसे देश मे जमीन की उपलब्धता में कमी है।

  • सौर पावर प्लांट स्थापित करने वा अन्य रखरखाव के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है परन्तु भारत जैसे देश मे कुशल मानव संसाधनों का अभाव है।

  • गर्म और शुष्क क्षेत्रों के लिये गुणवत्तापूर्ण सौर पैनल बनाने की नीतियों का अभाव है। अतः भारत में बने सोलर सेल (फोटोवोल्टेइक सेल) अन्य देशों से आयातित सोलर सेलों के मुकाबले कम दक्ष हैं। तथा चीन से आयातित फोटो वोल्टेइक सेलों की गुणवत्ता भी कामचलाऊ प्रकार की है।

  • औसत लागत प्रति किलोवाट एक लाख रुपए से अधिक है। इससे जुड़े अन्य उपकरणों के दाम भी बहुत अधिक हैं। भारत सरकार द्वारा विभिन्न नीतियाँ और नियम बनाने के बावजूद सोलर पैनल लगाने के खर्च में कोई खास कमी नहीं आई है। अतः आवासीय घरों में छतों पर सोलर पैनल लगाने पर आने वाला भारी खर्च सौर ऊर्जा परियोजनाओं की राह में एक बड़ी बाधा है।

रीवा सोलर प्लांट -

भारत मैं पिछले कुछ वर्षों के दौरान सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़िया प्रयास हुए हैं और उन्ही प्रयासों के तहत हाल ही में मध्य प्रदेश के रीवा (गुढ़) में स्थापित 750 मेगावाट की ‘रीवा सौर परियोजना’ राष्ट्र को समर्पित की गई है। इस परियोजना के अन्तर्गत एक सौर पार्क जिसका कुल क्षेत्रफल 1500 हेक्टेयर है, के अंदर स्थित 500 हेक्टेयर भूमि पर 250-250 मेगावाट की तीन सौर विद्युत उत्पादन इकाइयाँ शामिल हैं। इस सौर पार्क के विकास के लिये भारत सरकार की ओर से ‘रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड’ को एक सौ अड़तीस करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी। इस सौर पार्क को ‘रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड’ के द्वारा विकसित किया गया है जो ‘मध्य प्रदेश उर्जा विकास निगम लिमिटेड’ और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई ‘सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया’ का संयुक्त उद्यम है। यह सौर परियोजना ‘ग्रिड समता अवरोध' को तोड़ने वाली देश की पहली सौर परियोजना है। यह परियोजना वार्षिक तौर पर लगभग 15 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने में सहायक होगी। यह परियोजना राज्य के बाहर संस्थागत ग्राहक जैसे दिल्ली मैट्रो आदि को बिजली आपूर्ति करने वाली देश की पहली अक्षय ऊर्जा परियोजना है।


अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन:-


         यह सौर गठबंधन सौर ऊर्जा संपन्न देशों का एक संधि (Treaty) आधारित अंतर-राष्ट्रिय संगठन है। सर्वप्रथम ISA की स्थापना की पहल भारत के द्वारा की गई थी पेरिस में 30 नवंबर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के दौरान CoP-21 से पृथक  भारत और फ्राँस के द्वारा इसकी संयुक्त शुरुआत की गई थी। कर्क और मकर रेखा के मध्य आंशिक या पूर्ण रूप से अवस्थित 122 सौर संसाधन संपन्न देशों के इस गठबंधन का मुख्यालय हरियाणा के गुरुग्राम में बनाया गया है। ISA से जुड़े 67 देश गठबंधन में शामिल हैं और फ्रेमवर्क समझौते की पुष्टि कर चुके हैं। ISA फ्रेमवर्क में वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा क्षमता और उन्नत व स्वच्छ जैव-ईंधन प्रौद्योगिकी सहित स्वच्छ ऊर्जा के लिये शोध और प्रौद्योगिकी तक पहुँच बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने तथा ऊर्जा अवसंरचना एवं स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी में निवेश को प्रोत्साहन देने का लक्ष्य रखा गया है। ISA के प्रमुख उद्देश्यों में 1000 गीगावाट से अधिक सौर ऊर्जा उत्पादन की वैश्विक क्षमता प्राप्त करना है।

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