एंड्रॉयड और इससे जुड़ी सुरक्षा
एंड्रॉइड और उससे जुड़ी सुरक्षा चिंताएं आधुनिक डिजिटल जीवन के सबसे महत्त्वपूर्ण आयामों में से एक हैं। चूंकि एंड्रॉयड एक ओपन-सोर्स और सबसे व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है, और दुनिया भर में इसके उपयोगकर्ताओं की संख्या 3.5 अरब से अधिक है वहीं भारत में लगभग कुल मोबाइल उपयोगकर्ताओं में से 85 प्रतिशत एंड्रॉयड यूजर हैं यानी यह संख्या लगभग 56 करोड़ के आस पास जाती है। एंड्रॉयड अपने उपयोगकर्ताओं को सुविधा और लचीलापन तो देता है, परंतु इसके साथ कई साइबर सुरक्षा जोखिम भी उत्पन्न होते हैं। आज इस लेख में हम इससे जुड़े जरूरी पहलू पर विचार करेंगे।
एंड्रॉयड क्या है?

एंड्रॉयड एक मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसे गूगल ने विकसित किया है। यह लाइनक्स कर्नेल पर आधारित है और इसकी ओपन-सोर्स प्रकृति के कारण विभिन्न कंपनियाँ जैसे Samsung, Xiaomi, Oppo, Vivo, आदि इसे कस्टमाइज़ कर के स्मार्टफोन, टैबलेट, स्मार्टवॉच टीवी आदि जैसे डिवाइसों में इसका उपयोग सिस्टम साफ्टवेयर की तरह करती हैं। इसमें एप्लिकेशन इंस्टॉल करने के लिए गूगल प्ले स्टोर जैसे एप स्टोर होते हैं। यह जावा, कोटलिन जैसी प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग करता है। यूजर इंटरफेस, ऐप्स और नोटिफिकेशन सिस्टम इसे उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाते हैं और यह आप को बेहतर अनुभव देता है।
प्रमुख सुरक्षा चिंताएं:
एंड्रॉयड से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं (Security Concerns related to Android) वर्तमान डिजिटल युग में अत्यंत महत्वपूर्ण विषय हैं, विशेषकर जब भारत जैसे देश में करोड़ों लोग एंड्रॉयड स्मार्टफोन का प्रयोग करते हैं। एंड्रॉयड की ओपन-सोर्स प्रकृति, व्यापक उपयोग और लचीलापन जहां इसे लोकप्रिय बनाता है, वहीं कई साइबर सुरक्षा जोखिमों को भी जन्म देता है। चूंकि इसकी प्रकृति ओपन सोर्स है अतः हमलावरों के लिए यह अन्य सिस्टम साफ्टवेयर जैसे कि विंडो आदि के मुकाबले अधिक भेद्य हो जाता है।
विशेष:
"ओपन सोर्स" का अर्थ है ऐसा सॉफ़्टवेयर या तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म जिसकी स्रोत-संहिता (Source Code) सभी के लिए पारदर्शी और निःशुल्क उपयोग योग्य होती है ऐसे में इसे कोई भी निर्माता देख सकता है, संशोधित कर सकता है, और पुनः वितरित कर सकता है। जैसे Samsung, Xiaomi, आदि एंड्रॉयड के स्रोत कोड का उपयोग करके उसे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित करके वितरित करती हैं।
आउटडेटेड सुरक्षा पैच:
कई एंड्रायड उपयोग कर्ता समय पर सुरक्षा अपडेट प्राप्त नहीं कर पाते हैं, जिससे वे पुराने सुरक्षा छिद्रों (vulnerabilities) के लिए असुरक्षित हो जाते हैं। इस प्रकार बिना अपडेटेड एंड्रॉयड डिवाइस में साइबर हमलावरों के लिए डेटा में सेंध लगाना आसान हो जाता है। आम तौर पर कंपनियां कुछ ही समय तक अपडेट देने का वादा करती हैं और यूजर डिवाइस को लगातार उपयोग में रखता है। हालांकि यह अधिक पुराने संस्करणों के लिए अधिक जोखिम पूर्ण है।
बाहरी एप्स:
अधिकांश अभिज्ञ यूजर किसी मनोरंजन या मुफ्त प्रीमियम उपयोग के लालच में थर्ड पार्टी एप्स यानी कि प्लेस्टोर के अलावा अन्य सोर्स से apk. फ़ाइलें डाउनलोड करते हैं जो वायरस के लिए खुला द्वार होता है। ऐसे एप्स में Trojan Horse, Keylogger, या Ransomware छिपा हो सकता है। जो आपकी सुरक्षा और गोपनीयता पर हमला कर के आप को तबाह कर सकता है।
एप्स अनुमतियां:
कई एप्स अत्यधिक और अनावश्यक permissions मांगते हैं इससे उपयोगकर्ता की गोपनीयता को गंभीर खतरा उत्पन्न होता है। एंड्रॉयड ऐप्स द्वारा माँगी जाने वाली अनुमतियाँ, यदि बिना विवेक के स्वीकार कर ली जाएँ, तो उपयोगकर्ता की गोपनीयता के लिए गंभीर संकट उत्पन्न कर सकती हैं। कैमरा, फोटो, माइक्रोफ़ोन, स्थान, संपर्क सूची अथवा संदेशों तक पहुँच जैसी अनुमतियाँ एप्लिकेशन को संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करने में सक्षम बनाती हैं। कई बार ये डेटा विज्ञापनदाताओं या दुर्भावनापूर्ण तृतीय पक्षों को साझा कर दिया जाता है, जिससे पहचान की चोरी, वित्तीय धोखाधड़ी और साइबर निगरानी जैसे जोखिम बढ़ जाते हैं। अतः इन अनुमतियों का विवेकपूर्ण चयन डिजिटल सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।
रूटिंग से सुरक्षा का ह्रास:
रूटिंग एक तकनीकी शक्ति है, लेकिन यदि सावधानीपूर्वक प्रयोग न हो तो यह डिवाइस की सुरक्षा, स्थिरता और वैधता के लिए खतरा बन सकती है। सामान्य उपयोगकर्ताओं के लिए यह अनुशंसित नहीं है, विशेषतः जब गोपनीयता और डेटा सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता हो। डिवाइस को "root" करने से उपयोगकर्ता को गहराई तक पहुँच मिलती है, परंतु इससे सुरक्षा तंत्र नष्ट हो जाते हैं। रूटेड डिवाइस में हैकर आसानी से सिस्टम फाइल्स तक पहुँच सकते हैं।
पब्लिक Wi-Fi:
असुरक्षित सार्वजनिक Wi-Fi नेटवर्क पर इंटरनेट का उपयोग करते समय उपयोगकर्ताओं को "मैन-इन-द-मिडल" (Man-in-the-Middle) जैसे साइबर हमलों का खतरा होता है, जिसमें एक हैकर नेटवर्क और उपयोगकर्ता के बीच आकर संवेदनशील जानकारी को चुपचाप प्राप्त कर सकता है। इसके माध्यम से पासवर्ड, बैंकिंग विवरण, ईमेल, चैट, और अन्य निजी डेटा को चोरी किया जा सकता है। असुरक्षित Wi-Fi नेटवर्क अक्सर एन्क्रिप्शन रहित होते हैं, जिससे डाटा बिना किसी सुरक्षा के प्रवाहित होता है। साथ ही, हैकर फर्ज़ी Wi-Fi हॉटस्पॉट बनाकर भी उपयोगकर्ताओं को भ्रमित कर सकते हैं और उनका नियंत्रण अपने हाथ में ले सकते हैं।
बैकग्राउंड रनिंग:
बैकग्राउंड डेटा ट्रैकिंग का तात्पर्य उन प्रक्रियाओं से है, जिनके माध्यम से मोबाइल ऐप्स और सेवाएँ उपयोगकर्ता की जानकारी के बिना सक्रिय उपयोग में रहती हैं यानी बैकग्राउंड में शुरू होती हैं और डेटा को एकत्रित, विश्लेषित और प्रसारित करती हैं। कई बार यह प्रक्रिया उपयोगकर्ता की जानकारी के बिना भी हो सकती है सरल शब्दों में जब आप किसी ऐप का उपयोग नहीं कर रहे होते, तब भी वह ऐप चुपचाप आपके मोबाइल के डेटा, स्थान, व्यवहार, और गतिविधियों को रिकॉर्ड कर सकता है यही बैकग्राउंड डेटा ट्रैकिंग है।
प्रमुख सुरक्षा उपाय:
1. केवल आधिकारिक स्रोत यानी कि गूगल प्ले स्टोर से ही ऐप डाउनलोड करें और इंस्टॉल करें; अनजान वेबसाइटों से प्राप्त apk. फाइलें न इंस्टॉल करें अन्यथा थर्ड पार्टी एप्स कई तरीकों से आपकी सुरक्षा में सेंध लगा देंगे बिना किसी जानकारी के।
2. मोबाइल में स्थापित विभिन्न ऐप्स के लिए एप्लिकेशन अनुमतियाँ सीमित करें हर ऐप को केवल वही अनुमतियाँ दें जो आवश्यक हों, विशेष रूप से कैमरा, माइक्रोफ़ोन, लोकेशन आदि। अनावश्यक अनुमति द्वारा आप की अतिरिक्त जानकारी आप की अनुमति के साथ साझा की जाती हैं। मान लीजिए आप म्यूजिक सुनने के लिए एक एप्लिकेशन डाउनलोड करते हैं ऐसे में उस ऐप को चलाने के लिए आप के फोटो एलबम या कैमरा की कोई आवश्यकता नहीं है ऐसे में उसे अपने एलबम, कैमरा, लोकेशन, मैसेज आदि की अनुमतियां मत दीजिए। जब कोई ऐप आप के समस्त इंटरनल स्टोरेज की अनुमति प्राप्त कर लेता है तब आप के फोन में संग्रहित कोई भी डेटा वह प्राप्त कर लेता है आप के एलबम की निजी फोटो वीडियो आप की फोनबुक आदि। जब आप किसी ऐप को माइक्रोफोन अथवा कैमरा का अनियंत्रित एक्सेस देते हैं तब वह आप को हर पल सुन और देख रहा होता है आप के गोपनीय पल और मीटिंग की गोपनीय बातें भी, इसलिए सावधान रहें।
3. ऑपरेटिंग सिस्टम और ऐप्स को नियमित रूप से अपडेट करें नवीनतम सुरक्षा पैच से डिवाइस की सुरक्षा सुनिश्चित होती है। किसी भी अपडेट को लंबे समय तक अनदेखा न करें।
4. अवांछित संक्रमण से बचने के लिए एंटीवायरस या मोबाइल सुरक्षा ऐप्स का उपयोग करें विश्वसनीय सुरक्षा ऐप्स जैसे Bitdefender, Norton, Avast आदि अथवा आपके मोबाइल सेवा प्रदाता के ऑफिशियल ऐप से डिवाइस को नियमित स्कैन करें और रूटिंग से बचें।
5. पब्लिक Wi-Fi पर सतर्क रहें अनजान Wi-Fi से कनेक्ट करने से बचें या ऐसे में जानेमाने VPN (Virtual Private Network) का प्रयोग करें।
6. अज्ञात लिंक, ईमेल और SMS से सावधानी बरतें फिशिंग हमलों से बचने के लिए संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें।
7. डिवाइस लॉक सुरक्षा सक्रिय रखें हमेशा मजबूत पासवर्ड, पैटर्न, फिंगरप्रिंट या फेस लॉक का प्रयोग करें ताकि फोन खाने की स्थिति में डेटा को गलत हाथ से बचाया जा सके।
8. बैठक और संवेदनशील स्थानों पर ऐप्स की बैकग्राउंड सक्रियता (भले ही वह विश्वसनीय ऐप हो) सीमित करें। बैकग्राउंड डेटा और गतिविधियों पर नियंत्रण रखें। अपने स्थापित प्रोग्रामों पर नजर रखें किसी भी संदेह पर ऐप की समीक्षा करें।