ट्रांसफार्मर (Transformer)

ट्रांसफार्मर


आप ने इस बारे में जरूर सोचा होगा की आप के घर तक आने वाली बिजली ट्रांसफार्मरों से हो कर क्यों आती है? यह पावर प्लांट से लेकर आप के घर तक कितने ट्रांसफार्मर से छन कर पहुँचती है? ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते हैं तथा ये अपना कार्य किस प्रकार करते हैं? आज हम इन सभी सवालों के जवाब सीधे एवं सरल भाषा में जानने का प्रयास करेंगे


ट्रांसफार्मर क्या है:-


         सरल शब्दों में कहें तो ट्रांसफार्मर या परिणामित्र एक ऐसा जुगाड़ है जो प्रत्यावर्ती विभवांतर (voltage) को घटाने या बढ़ाने के लिए काम मे लाया जाता है हमने यहां प्रत्यावर्ती विभवांतर शब्द का प्रयोग किया है अतः मैं स्पष्ट कर दूं कि यह केवल प्रत्यावर्ती धारा (AC Current) पर ही काम करता है ना कि दिष्टकारी धारा (DC Current) के साथ, ऐसा क्यों होता है इसे ट्रांसफार्मर के सिद्धांत एवं कार्य प्रणाली मेे जानने का प्रयास करेंगे

ट्रांसफार्मर के प्रकार:-


      इससे पहले बता दूं कि ट्रांसफार्मर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं अपचाई ट्रांसफार्मर तथा उच्चाई ट्रांसफार्मर,

अपचाई ट्रांसफार्मर यह उच्च प्रत्यावर्ती विभांतर (high voltage) को निम्न प्रत्यावर्ती विभांतर (low voltage) में परिवर्तित करता है अतः इससे प्राप्त प्रत्यावर्ती धारा इसको दी गई प्रत्यावर्ती धारा से अधिक होती है

उच्चाई ट्रांसफार्मर यह ट्रांसफार्मर निम्न प्रत्यावर्ती विभवान्तर को उच्च प्रत्यावर्ती विभवान्तर मे बदलता है अतः इससे प्राप्त प्रत्यावर्ती धारा इसको दी गई प्रत्यावर्ती धारा से कम होती है


ट्रांसफार्मर की संरचना:-


           वैसे तो ट्रांसफार्मर के अनेक पार्ट हैं लेकिन ट्रांसफार्मर में कार्य करने के लिए मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं-

पटलित क्रोड अर्थात परतदार क्रोड जो धातु (नर्म लोहा) की विभिन्न पट्टियों को एक के ऊपर एक जमा कर इस प्रकार बनाया जाता है कि हर परत बार्निश के माध्यम से अलग रहे क्रोड को पटलित इस लिए बनाया जाता है ताकि ट्रांसफार्मर मे भँँवर धारा को कम किया जा सके जिससे ट्रांसफार्मर मे ऊष्मा के रूप मे ऊर्जा की हानि कम हो

प्राथमिक कुंडली अर्थात तार के वे फेरे जिनमें ट्रांसफार्मर को इनपुट दिया जाता है कुंडली बनाने के लिए तांबे का तार उपयोग मे लिया जाता है

द्वितीयक कुंडली अर्थात तार के वे फेरे जहां से ट्रांसफार्मर द्वारा आउटपुट लिया जाता है
प्राथमिक एवं द्वितीयक कुंडली को क्रोड में सुविधानुसार दो प्रकार से लपेटा जा सकता है नीचे चित्र से स्पष्ट है

          इस सम्पूर्ण व्यवस्था को ऐसे (पेट्रोलियम) तेल से भरे टैंक मे डुबोया जाता है जो बिद्युत का कुचालक होता है तथा उष्मा का चालक होता है तथा कम ज्वलनशील होता है 
          ट्रांसफार्मर उच्चाई होगा या अपचाई यह प्राथमिक एवं द्वितीयक कुंडली में फेरों की संख्या वा तार की मोटाई द्वारा निर्धारित किया जाता है उच्चाई ट्रांसफार्मर में प्राथमिक कुंडली में फेरों की संख्या कम तथा कुंडली का तार मोटा होता है जबकि द्वितीय कुंडली में फेरों की संख्या अधिक तथा कुंडली का तार पतला होता है वहीं अपचाई ट्रांसफार्मर में प्राथमिक कुंडली में फेरों की संख्या अधिक तथा कुंडली का तार पतला होता है जबकि द्वितीय कुंडली में फेरों की संख्या कम तथा कुंडली का तार मोटा होता है

सिद्धांत तथा कार्यविधि:-


             ट्रांसफार्मर अन्योन्य प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है और अन्योन्य प्रेरण के अनुसार किसी बिद्युत परिपथ मे धारा का मान बदलने पर पास मे स्थित दूसरे परिपथ मे प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है अब चूंकी प्रत्यावर्ती धारा मे धारा की दिशा वा मान लगातार बदलता है अतः अन्योन्य प्रेरण की क्रिया संभव हो पाती है वहीं दिष्ट धारा मे धारा सतत रूप से बहती है अतः उसके मान मे कोई परिवर्तन नहीं होता जिससे अन्योन्य प्रेरण संभव नहीं है यही कारण है की ट्रांसफार्मर केवल प्रत्यावर्ती धारा मे ही काम करता है

        जब ट्रांसफार्मर की प्राथमिक कुंडली के सिरों में विभवांतर आरोपित किया जाता है तो कुंडली मे प्रत्यावर्ती धारा बहने लगती है जिससे क्रोड मे प्रत्यावर्ती चुम्बकीय फ्लक्स उत्पन्न हो जाता है अब चूंकी चुम्बकीय फ्लक्स भी प्रत्यावर्ती है तथा द्वितीयक कुंडली भी उसी क्रोड मे लपेटी जाती है अतः द्वितीयक कुंडली से सम्बद्ध चुंबकीय फ्लक्स मे भी लगातार परिवर्तन होगा जिससे फैराडे के बिद्युत-चुम्बकीय प्रेरण के नियमानुसार द्वितीयक कुंडली मे उसी आवृत्ति का प्रत्यावर्ती बिद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है तथा प्रत्यावर्ती धारा बहने लगती है
       आप यह जान कर अवश्य चकित हुए होंगे की प्राथमिक कुंडली तथा द्वितीयक कुंडली एक दूसरे से विलग होती हैं फिर भी द्वितीयक कुंडली मे धारा बहने लगती है मैने ऊपर स्पष्ट किया है की ऐसा प्रेरण के कारण होता है

ट्रांसफार्मर का उपयोग:-


बिजली को पावर प्लांट से दूर स्थानों तक भेजने मे- हम जानते हैं कि हमारे घरों में चलने वाले विभिन्न विद्युत उपकरण जैसे पंखा टीवी फ्रिज आदि 220 वोल्ट पर कार्य करते हैं
      अतः अब मान लीजिए कि विद्युत उत्पादन केंद्र से 22 हजार किलो वाट बिद्युत को 220 वोल्ट पर तारों द्वारा आपके घर तक भेजा जाता है तब आइए समझने के लिए गणित का इस्तेमाल करते हैं तब सूत्र 
                    I=P/V
                    I=22000000/220
                    I=100000 एम्पियर
अतः तार में 100000 एंपियर धारा प्रवाहित होगी जिससे तार बहुत अधिक गर्म होंगे या पिघल जाएंगे जिससे तार में ऊष्मा के रूप में बहुत अधिक ऊर्जा क्षय होगा, अब मान लेते हैं कि 22000 किलो वाट को 132 मेगा वोल्ट पर भेजा जाता है तब पुनः 
           I=22000000/132000000
           I=1/6 एम्पियर
अतः स्पष्ट है कि तार में अल्प धारा प्रवाहित होगी जिससे ऊष्मा ह्वास नहीं होगा
     ऐसे में ट्रांसफार्मर विद्युत शक्ति को हमारे घरों तक पहुंचाने में मदद करते हैं इसके लिए विद्युत उत्पादन केंद्र में उच्चाई ट्रांसफार्मर लगाकर विद्युत को अत्यधिक उच्च वोल्टेज मे निम्न धारा के साथ पावर स्टेशन तक पहुंचाया जाता है तथा पावर स्टेशन इसमें अपचाई ट्रांसफार्मर लगाकर इसे 33000 वोल्ट में परिवर्तित करके आपके गांव या शहर के स्थानीय सब स्टेशन पर भेजता है जहां पुनः अपचाई ट्रांसफार्मर प्रयुक्त करके इसे 11000 वोल्ट में परिवर्तित किया जाता है तथा इसे आपके मोहल्ले तक भेजा जाता है जहां फिर से एक अपचाई ट्रांसफार्मर लगाकर इसे 220 वोल्ट में बदल कर बिद्युत को आपके घर तक पहुंचाया जाता है

विभिन्न विद्युत उपकरणों में- ट्रांसफार्मर का उपयोग विभिन्न उपकरणों मे विभवान्तर घटाने बढ़ाने के लिए किया जाता है जैसे टेलीविजन रेडियो रेफ्रिजरेटर आदि घर में लगने वाले कई विद्युत उपकरण लो वोल्टेज पर प्रत्यावर्ती धारा में काम करते हैं अतः इसके लिए उपकरण में ही छोटे अपचायी ट्रांसफार्मर लगाए जाते हैं तथा कुछ उपकरणों में उच्च विभव पर निर्बल धारा प्राप्त करने के लिए उच्चाई ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है
वेल्डिंग कार्य में- वेल्डिंग करने के लिए लो वोल्टेज पर प्रबल प्रत्यावर्ती धारा की आवश्यकता होती है अतः इसमे अपचाई ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है

उम्मीद करता हूँ की जानकारी आप को पसंद आई होगी तथा समझने मे ज्यादा कठिनाई नहीं हुई होगी, हाँ  यदि आप ने बिद्युत-चुम्बकीय प्रेरण तथा बिद्युत धारा के प्रकार मे प्रत्यावर्ती धारा को नहीं पढ़ा है तो कठिनाई हो सकती है, पोस्ट पसंद आने पर शेयर करना ना भूलें
धन्यवाद!

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