बिद्युत धारा के प्रकार
किसी चालक में विद्युत धारा दो प्रकार से प्रवाहित होती है या दूसरे शब्दों में कहें तो विद्युत धारा के दो प्रकार होते हैं आइए एक एक कर के समझते हैं :-
दिष्ट धारा(DC):-
इस प्रकार की धारा में धारा का मान वा प्रवाह की दिशा सदैव समान रहती है यानी कि इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह सतत एक ही दिशा में होता रहता है आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं मान लीजिए दो चालक A और B हैं तथा चालक A उच्च विभव पर है तथा चालक B निम्न विभव पर है अब यदि इन चालकों को एक चालक तार द्वारा जोड़ दिया जाए तो इलेक्ट्रॉन का प्रवाह चालक B से चालक A की ओर होने लगे गा जिससे तार में धारा चालक A से B की ओर बहने लगेगी अब यदि चालक A एवं B लगातार क्रमसः उच्च विभव तथा निम्न विभव पर बने रहें तब तार मे धारा सतत रूप से एक ही दिशा मे बहती रहे गी तब हम कहेंगे कि तार में बहने वाली धारा दिष्ट धारा है
चूंकि A,B चालक हैं अतः व्यवहार में इस प्रकार सिर्फ क्षणिक धारा ही प्राप्त की जा सकती है आतः लंबे समय तक धारा प्राप्त करने के लिए सेल या बैटरी को उपयोग मे लाया जाता है जो विभिन्न उपकरणों को संचालित करने में सहायक होते हैं जैसे आपका मोबाइल टॉर्च रेडियो आदि सभी उपकरण दिष्ट धारा में संचालित होते हैं अतः इनके लिए विद्युत आपूर्ति सेल या बैटरी के माध्यम से किया जाता है
अब आप भली-भांति समझ गए होंगे कि दिष्ट धारा में धारा का परिमाण वा दिशा अपरिवर्तित रहते हैं
प्रत्यावर्ती धारा(AC):-
धारा के इस प्रकार मे धारा अपनी दिशा व परिमाण समय के साथ बदलती रहती है आइए समझने के लिए एक मानसिक प्रयोग करते हैं
मान लेते हैं कि कोई चालक तार या परिपथ A-B है जिसमें एक बैटरी की सहायता से धारा प्रवाहित हो रही है तब ऐसे परिपथ में प्रत्यावर्ती धारा बहाने के लिए एक बार बैटरी का + सिरा A से तथा - सिरा B से जोडते हैं तथा एक बार + सिरा B से तथा - सिरा A से जोड़ते है यदि हम लगातार यह प्रक्रिया दोहराते रहें तो परिपथ मे एक बार धारा A से B की ओर बहेगी तथा एक बार B से A की ओर बहे गी यदि परिवर्तन का यह क्रम लगातार चलता रहता है तब हम कहें गे की परिपथ मे बहने वाली धारा प्रत्यावर्ती धारा है यदि हम १ सेकंड मे बैटरी का सिरा १०० बार बदलें तो हमे ५० हर्ट्ज की प्रत्यावर्ती धारा प्राप्त होगी परन्तु व्यवहार में ऐसा करना असंभव है मैंने यह मानसिक प्रयोग केवल प्रत्यावर्ती धारा को समझाने के लिए किया है
वास्तव में प्रत्यावर्ती धारा का स्त्रोत डायनेमो है जिसमें आयताकार या वृत्ताकार बंद कुंडली को किसी चुंबकीय क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत अक्ष के परितः घुमाया जाता है जिससे कुंडली से संबद्ध चुंबकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होने से कुंडली के सिरों पर प्रत्यावर्ती विद्युत वाहक बल प्रेरित हो जाता है जिससे बंद परिपथ में प्रत्यावर्ती धारा बहने लगती है
जिसे कई ट्रांसफार्मरों से गुजार कर आप के घरों तक पहुंचाया जाता है
चूंकि धारा की दिशा समय के साथ बदलती है अतः धारा एक सेकंड में जितनी बार दिशा बदलती है उसे प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति कहते हैं भारत में प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति 50 हर्ट्ज होती है जिसका मतलब यह है कि धारा एक सेकंड में 50 चक्र पूरा करती है अतः 50 बार एक दिशा में बहती है तथा 50 बार दूसरी दिशा मे बहती है
अतः आप के घरों में लगा हुआ फिलामेंट बल्ब 1 सेकंड में 100 बार जलता है तथा 100 बार बुझता है परंतु दृष्टि न्यूनता के कारण दिखाई नहीं देता है
आप को एक मुफ्त की जानकारी और देता चलूं प्रत्यावर्ती धारा दिष्ट धारा की तुलना मे अधिक खतरनाक होती है, फिर भी चूंकि ट्रांसफार्मर केवल प्रत्यावर्ती धारा के साथ प्रयुक्त किये जा सकते हैं जिससे इसे दूर तक भेजना आसान होता है यही कारण है की आप के घरों तक प्रत्यावर्ती धारा पहुँचाई जाती है, यदि प्रत्यावर्ती धारा नहीं होती तो आज हम इतने बड़े पैमाने पर बिजली का उपयोग नहीं कर पाते
यदि उपरोक्त चीजें स्पष्ट ना हो रही हों तो आप हमारी पोस्ट चालक मे धारा प्रवाह कैसे होता है देख सकते हैं उम्मीद करता हूं कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी यदि हां तो इसे शेयर करना ना भूलें आप अपने सुझाव व सवाल हमें कमेंट कर सकते हैं
धन्यवाद!
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