आखिर इतने भारी बादल ‌आसमान से नीचे क्यों नहीं गिरते हैं? Why doesn't such a heavy cloud fall?

नमस्कार साथियों आज हम अपने इस आर्टिकल में यह जानने का प्रयास करेंगे कि आखिर बादल ‌आसमान से नीचे क्यों नहीं गिरते हैं यह हवा में कैसे तैरते रहते हैं।


            जलवाष्प यानी भाप से तो हम सभी लोग परिचित हैं, हवा में हमारे हर तरफ जलवाष्प है यानी गैस के रूप में पानी इसलिए हम चारों तरफ उसे देख नहीं पाते हैं। लेकिन नमक या गुड़ को खुला छोड़ कर हम उसकी उपस्थिति का एहसास कर सकते हैं। और जब यही जलवाष्प वाली गर्म हवा ऊपर उठती है तो यह ठंडी होने लगती है तब इसमें जमा पानी सघन होकर छोटी-छोटी जल‌ बूंदों या हिमकणों का आकार ले लेता है। बादलों का निर्माण इन्हीं छोटी-छोटी हिम बूंदों या जल सीकरों से होता है। एक बादल बहुत वजनी भी हो सकता है वर्तमान में सैटेलाइट जैसी आधुनिक तकनीक की मदद से बादल के वजन का पता भी लगाया जा सकता है सेटेलाइट के राडार उपकरण बादलों के आर पार तरंगों को भेजकर यह पता लगा लेते हैं कि बादल में कितना पानी मौजूद है सामान्यता गर्मी के महीनों में एक बादल का वजन कई सौ टन हो सकता है। लेकिन अगर तापमान बदलने से यह बादल बरसात वाले बादलों में परिवर्तित हो जाता है तो इसका वजन कई लाख टन तक हो सकता है क्योंकि जैसे-जैसे बूंदे सघन होंगी बादल में मौजूद पानी की मात्रा बढ़ती जाएगी।



अब प्रश्न यह है कि आखिर इतना भारी बादल नीचे क्यों नहीं गिरता?

         हमने ऊपर सीखा है कि बादल बहुत ही छोटे छोटे हिमकणों या जल बूंदों से मिलकर बनते हैं। वास्तव में यह कण इतने छोटे होते हैं कि नीचे की गर्म हवा सदैव इन्हें ऊपर की ओर धकेलती रहती है जिससे बादल आसमान में तैरते रहते हैं। इसे समझने के लिए आप अपने दैनिक जीवन का उदाहरण देखिए जब आप गर्म चाय या सूप को कप में डालते हैं तब जल के छोटे-छोटे कण जो भाप के रूप में होते हैं, चूंकि गरम वस्तु ठंडी वस्तु की अपेक्षा हल्की होती है अतः गर्म होने के कारण ऊपर की ओर उठने लगते हैं।

           अब हवा चलने पर छोटी-छोटी हिम बूंदे आपस में टकराती हैं और आपस में मिलकर‌ बड़ा आकार ले लेती हैं इससे वह और अधिक सघन हो जाती है छोटी-छोटी बूंदे हवा में तैरती रहती हैं और बड़ी बूंदे नीचे आने लगती हैं जिससे आते वक्त वह अन्य बूंदों से मिलकर और बड़ी (आइस क्रिस्टल) हो जाती है आखिरकार ये भारी क्रिस्टल‌ नीचे गिरते हैं और पिघल कर के बारिश बनकर धरती पर बरसने लगते हैं।

2 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

Post a Comment

और नया पुराने