Electric current flows (बिद्युत धारा प्रवाह)

बिद्युत धारा प्रवाह


नमस्कार दोस्तों आपने पानी को पाइप में या नदी में  बहते हुए देखा है नदी में बह रहे जल के लिए गुरुत्वाकर्षण बल उत्तरदाई होता है  जबकि पाइप में बह रहा पानी  किसी  मोटर या मशीन के बल का परिणाम है अतः आप जलधारा से परिचित हैं इसी प्रकार आपने  हवा को भी बहते हुए महसूस किया होगा

       
      जैसा कि शीर्षक से स्पष्ट है आज हम विद्युत चालन के बारे में बात करने वाले हैं यानी कि विद्युत किसी माध्यम में एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक कैसे पहुंच पाती है अतः आज हम विद्युत धारा के बारे में यह जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर बिद्युत एक पल की देरी किए बिना पावर प्लांट से हमारे घरों तक या किसी एक स्थान से दूसरे स्थान तक कैसे पहुंच पाती है तथा यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि किस प्रकार कोई पदार्थ विद्युत के लिए चालक का काम करता है जबकि कोई पदार्थ विद्युत के लिए कुचालक का काम करता है


हमने पिछली पोस्ट में परमाणु संरचना को ठीक से समझा है फिर भी मैं यहां कुछ आवश्यक तथ्यों को स्पष्ट करना चाहूंगा
      ध्यातव्य है कि ब्रह्मांड का प्रत्येक पदार्थ परमाणुओं से मिलकर बना है तथा प्रत्येक परमाणु के केंद्र में नाभिक होता है जिसमें परमाणु का संपूर्ण धन आवेश अर्थात सभी प्रोटॉन स्थित होते हैं जबकि इलेक्ट्रॉन परमाणु के विभिन्न कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते हैं चूंकी धन आवेश तथा ऋण आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं अतः विभिन्न कक्षाओं में चक्कर लगा रहे इलेक्ट्रॉन परमाणु के केंद्र में स्थित धन आवेश के कारण बंधे रहते है


          नाभिक के निकट की कक्षाओं के इलेक्ट्रॉन अत्यधिक बल से बंधे होते हैं अतः विद्युत चालन में यह भाग नहीं ले पाते हैं क्योंकि इन्हें अपनी कक्षा को छोड़ने के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है जबकि बाहरी कक्षाओं के इलेक्ट्रॉन कम बल से बंधे होने के कारण चलने फिरने के लिए स्वतंत्र होते हैं अतः यह विद्युत चालन में भाग लेते हैं इन्हीं इलेक्ट्रॉनों को मुक्त इलेक्ट्रॉन कहते हैं
 
     अब आप यह समझ गए होंगे कि आखिर लकड़ी या प्लास्टिक विद्युत की चालक क्यों नहीं है अर्थात ये पदार्थ कुचालक क्यों हैं ( क्योंकि इन पदार्थों में विद्युत चालन के लिए उत्तरदाई मुक्त इलेक्ट्रॉन लगभग नगण्य है) तथा किसी धातु (तांबा) जैसे पदार्थ विद्युत के लिए चालक क्यों है (क्योंकि इन पदार्थों में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर्याप्त होती है

     यदि विद्युत आवेश किसी चालक से प्रवाहित होता है तब हम यह कहते हैं कि चालक में विद्युत धारा बह रही है आप यह जानते हैं कि किसी टॉर्च में सेल अथवा बैटरी जब उचित क्रम में जोड़ा जाता है तब टॉर्च के बल्ब को जलाने के लिए आवेश का प्रवाह अर्थात विद्युत धारा बहाने के लिए स्विच ऑन करना पड़ता है क्या आपने सोचा है कि स्विच क्या कार्य करता है स्विच बल्ब तथा बैटरी के बीच चालक संबंध जोड़ता है अर्थात विद्युत धारा प्रवाहित होती है यदि स्विच ऑफ कर दिया जाए अथवा परिपथ बीच से टूट जाए तो बल्ब बंद हो जाता है

 
      जैसा कि स्पष्ट है आवेशों के प्रवाह के लिए इलेक्ट्रॉन गति करते हैं, हालांकि जिस समय विद्युत की परिघटना का सर्वप्रथम परीक्षण किया गया था तब इलेक्ट्रॉनों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी तब विद्युत धारा को धन आवेशों का प्रवाह माना गया था तथा धन आवेश के प्रवाह की दिशा को ही विद्युत धारा की दिशा माना गया था
    
अतः परिपाटी के अनुसार वर्तमान में भी किसी विद्युत परिपथ में इलेक्ट्रॉन जो कि ऋण आवेशित कण हैं उनके प्रवाह की दिशा के विपरीत दिशा को ही विद्युत धारा की दिशा माना जाता है
अब हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि कोई धातु विद्युत चालन कैसे करती है? जब हम किसी चालक जैसे तांबा के सिरों के मध्य (उपरोक्त चित्र अनुसार जिसमें तांबे के तार द्वारा बैटरी के साथ एक बल्ब और स्विच जोड़े गए हैं तथा धारा मापने के लिए श्रेणी क्रम में धारामापी लगाया गया है) विभवांतर आरोपित करते हैं तब इलेक्ट्रॉन बैटरी के ऋण सिरे से धन सिरे की ओर प्रवाहित होने लगते हैं क्योंकि मुक्त इलेक्ट्रॉन चलने के लिए स्वतंत्र होते हैं तथा इलेक्ट्रॉन में ऋण आवेश होता है और विपरीत आवेश परस्पर एक दूसरे को आकर्षित करते हैं अतः इलेक्ट्रॉन ऋण सिरे से धन सिरे की ओर आकर्षित होते हैं जिससे धारा (परिपाटी के अनुसार) धन सिरे से ऋण सिरे की ओर बहने लगती है


    अतः वास्तव में किसी चालक धातु में उसके ऋण आवेशित इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह ही चालक में विद्युत का प्रवाह है हां यह बात अलग है कि हम विद्युत धारा की दिशा इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के विपरीत अर्थात धन आवेश के प्रवाह की दिशा मे मानते हैं जबकि चालक में ऋण आवेशित इलेक्ट्रॉन के अलावा कोई धन आवेश (प्रोटान) नहीं बह रहा होता है
     यदि धारा को विज्ञान की भाषा में परिभाषित किया जाए तो हम कहेंगे कि विद्युत आवेश के प्रवाह की दर ही विद्युत धारा है अतः (I=Q/T)
     
आप को पता होना चाहिए की धारा दो प्रकार की होती है प्रत्यावर्ती धारा तथा दिष्ट धारा प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो पावर हाउस से आपके घरों तक पहुंचती है जबकि दिष्ट धारा आपको बैटरी से मिलती है इन दोनों में क्या अंतर है जानेगे किसी अगली पोस्ट में , यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट और शेयर करना ना भूले 
धन्यवाद!

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