हरित गृह अथवा पौधघर प्रभाव (Green House Effect)

ग्रीन हाउस प्रभाव

नमस्कार साथियों आज हम एक बहुत ही आवश्यक विषय के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं। अधिकांश विद्यार्थियों को इस विषय में ठोस जानकारी नहीं होने के कारण विषय से संबंधित परीक्षा में पूछा गया प्रश्न गलत हो जाता है। और लगभग हर प्रतियोगी परीक्षा मे इस विषय से जुड़ा हुआ प्रश्न अक्सर पूछ लिया जाता है।


ग्रीन हाउस क्या है?

जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि ग्रीन हाउस का मतलब हरा घर या हरितगृह होता है। ग्रीनहाउस कांच या प्लास्टिक की दीवारों वा छत का बना एक कमरा होता हैै जो खुले मैदान में वातावरण को अनुकूल बना कर पौधों को उगाने के लिए बनाया जाता है। जैसा कि नीचे चित्र में दर्शाया गया है।


ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है, यह कैसे काम करता हैं?

चूंकि कांच या प्लास्टिक लघु तरंगदैर्ध्य के अवरक्त विकिरण तथा दृश्य प्रकाश को पारगत कर देता है, जबकि ये दीर्घ तरंगदैर्ध्य के अवरक्त विकिरणों को परावर्तित कर देता है, जिससे पौधा घर के अंदर का वायुमंडल गर्म बना रहता है। ग्रीन हाउस प्रभाव इसी सिद्धांत पर कार्य करता है। दिन में सूर्य से आने वाला दृश्य प्रकाश तथा लघु तरंगदैर्ध्य के अवरक्त विकिरण कांच में होकर पौधा घर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं जो पौधों को प्राप्त हो जाते हैं अब रात में पौधों से उत्सर्जित अपेक्षाकृत दीर्घ तरंगदैर्ध्य के अवरक्त विकिरण (चूंकि पौधों का ताप अपेक्षाकृत कम होता है अतः कम ताप पर उत्सर्जित विकिरण की तरंगदैर्ध्य बड़ी होगी) कांच से होकर बाहर नहीं निकल पाते हैं जिससे पौधघर का अंदर का ताप गर्म ही बना रहता है इसे पौधघर अथवा ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं।

ग्रीन हाउस क्यों बनाया जाता है?

ग्रीनहाउस बहुत अधिक सर्दी से फसलों की रक्षा करते हैं, धूल और बर्फ के तूफानों से पौधों की रक्षा करते हैं और कीटों को बाहर रखने में मदद करते हैं। प्रकाश और तापमान नियंत्रण की वजह से ग्रीनहाउस कृषि के अयोग्य भूमि को कृषि योग्य भूमि में बदल देता है जिससे खाद्य उत्पादन की हालत में सुधार होता है। चूंकि ग्रीनहाउस वातावरण को उगने वाली फसल के अनुकूल बनाता है अतः कुछ फसलों को ग्रीन हाउस में वर्ष भर उगाया जा सकता है। सामान्यतः हरितगृह उच्च अक्षांश पर ‍स्थित देशों में खाद्य आपूर्ति के मामले में तेजी से लोकप्रिय होते जा रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े ग्रीनहाउस परिसरों में से एक स्पेन के अल्मरिया का ग्रीनहाउस है, जहां ग्रीनहाउस लगभग सारे कृषि क्षेत्र को ढंके हुए हैं (लगभग 200 वर्ग किलोमीटर) । कभी-कभी इन्हें प्लास्टिक का समुद्र भी कहा जाता है।

दैनिक जीवन में ग्रीन हाउस प्रभाव:-

पृथ्वी तल का गर्म बने रहने का कारण ग्रीन हाउस प्रभाव है। दिन में सूर्य से आने वाले विकिरणों में से केवल दृश्य प्रकाश एवं लघु तरंगदैर्ध्य वाले अवरक्त विकिरण ही वायुमंडल से होकर पृथ्वी तल तक पहुंच पाते हैं जिससे पृथ्वी गर्म हो जाती है। चूंकि प्रत्येक गरम वस्तु अवरक्त विकिरण उत्सर्जित करती है अतः पृथ्वी भी अपनी सतह से अवरक्त विकिरण उत्सर्जित करती है चूंकि पृथ्वी का ताप सूर्य के ताप से कम होता है अतः पृथ्वी से उत्सर्जित अवरक्त विकिरणों की तरंगदैर्ध्य सूर्य से आने वाले अवरक्त विकिरणों की तरंगदैर्ध्य से बड़ी होती है। पृथ्वी से उत्सर्जित दीर्घ तरंगदैर्ध्य के अवरक्त विकिरण वायुमंडल की पर्तों को पार नहीं कर पाते हैं बल्कि वायुमंडल के नीचे की परतों ग्रीन हाउस गैसों तथा बादलों से ही परावर्तित होकर पृथ्वी पर वापस आ जाते हैं। इस प्रकार पृथ्वी तल के समीप अवरक्त विकिरण बढ़ जाते हैं तथा पृथ्वी तल पर रखी वस्तुएं इन विकिरण को अवशोषित कर के गर्म हो जाती हैं तथा रात्रि में भी पृथ्वी तल गर्म बना रहता है। स्पष्टतः बादलों वाली रात अधिक गर्म होती है क्योंकि बादल भी पृथ्वी से आने वाले दीर्घ तरंगदैर्ध्य के अवरक्त विकिरण परावर्तित करते हैं इस प्रकार निचले वायुमंडल द्वारा अवरक्त विकिरणों के परावर्तन द्वारा पृथ्वी तल का गर्म बने रहना ग्रीन हाउस प्रभाव का कारण होता है।


स्पष्ट है कि यदि पृथ्वी पर वायुमंडल अनुपस्थित होता तो पृथ्वी का ताप वर्तमान ताप से कम होता क्योंकि तब पृथ्वी से उत्सर्जित अवरक्त विकिरण परावर्तित होकर पृथ्वी पर वापस नहीं आ पाते।


ग्रीन हाउस गैसें क्या होती है?

ग्रीनहाउस गैसें वे‌ गैसें होती हैं जिन्हें पृथ्वी के तापमान में हो रही वृद्धि के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार माना जाता है। ग्रीनहाउस गैसों का पृथ्वी के वायुमण्डल पर सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ता है, क्योंकि ये गैसें पृथ्वी के लिए कंबल का कार्य करती हैं। यदि ये गैसें उपस्थित न हों और ये ताप का अवशोषण न करें तो पृथ्वी एक ठंडे ग्रह में बादल जाएगी और मानव जीवन अपने वर्तमान स्वरूप में नहीं रह पाएगा। अतः ग्रीनहाउस गैसें हमेशा से वायुमंडल में उपस्थित रही हैं और हमेशा से ग्रीनहाउस प्रभाव द्वारा पृथ्वी का तापमान एक निश्चित बना रहा है।
यह गैसें सूर्य से आने वाले अवरक्त विकिरणों को अवशोषित कर लेती हैं अथवा पृथ्वी की और पुनः परावर्तित कर देती हैं जिससे कि पृथ्वी तल का तापमान गर्म बना रहता है। इन्हें जी.एच.जी. के नाम से भी जाना जाता है। यदि वातावरण में मौजूद प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों को देखें तो उनमें कार्बन डाई ऑक्साइड (CO₂, सबसे प्रमुख ग्रीनहाउस गैस), मीथेन (CH₄), जल वाष्प (H₂O), नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O), ओजोन (O₃), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), फ्लुओरीनीकृत गैसें आदि हैं जबकि मानव द्वारा निर्मित या संश्लेषित ग्रीन हाउस गैसें निम्नलिखित हैं क्लोरोफ़्लोरोकार्बन (CFC), हाइड्रो फ़्लोरोकार्बन (HFC), पर फ़्लोरोकार्बन’ (PFC), सल्फर हेक्साक्लोराइड (HF₆), ये गैसें तापीय अवरक्त सीमा के भीतर के विकिरण को अवशोषित और परावर्तित करती हैं जो ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए जिम्मेवार होता है।

प्रमुख ग्रीनहाउस गैसें


कार्बन डाई ऑक्साइड (CO₂)यह सबसे प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है जिसका मुख्य स्रोत कोयले व अन्य जीवाश्म ईंधनो का दहन तथा सीमेंट उद्योग आदि हैं। वनों की संख्या में कमी की वजह से इस गैस का दोहन कम गया है।
मीथेन (CH₄)कार्बन डाइऑक्साइड के बाद यह दूसरी प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है। मीथेन उत्सर्जन का 50-65% मानवीय गतिविधियों से होता है जो ऊर्जा, उद्योग, कृषि और अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों से मुख्यत: उत्सर्जित होती है।

नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O)

नाइट्रस ऑक्साइड ग्रीनहाउस इफेक्ट में लगभग 8% का योगदान करती है। इसके मुख्य स्रोत- रासायनिक उर्वरकों का निर्माण व प्रयोग, कोयला दहन आदि हैं।
हैलो कार्बन समूहयह सामान्यतः मानव निर्मित रासायनिक यौगिक है, जो हैलोजन परिवार के तत्त्व तथा कार्बन और अन्य गैसों से मिलकर बने होते ‌‌हैं‌‌। इनमें हाइड्रो फ्लोरोकार्बन (HFC), परफ्लोरोकार्बन (PFC) और सल्फर-हेक्साफ्लोराइड (SF6) शामिल हैं।
जल-वाष्प (H₂O)जल वाष्प का प्रमुख स्रोत सतही जल का वाष्पीकरण है। तथा यह जीवो के श्वसन वा हरे पौधों से भी प्राप्त होती है। पृथ्वी का तापमान बढ़ने पर वायु् में इसकी मात्रा बढ़ जाती है।
ओजोन (O₃)हालांकि ओजोन एक जीवन रक्षक गैस है परंतु छोभ मंडल में इसकी मौजूदगी ग्रीन हाउस प्रभाव को बढ़ावा देती है। औद्योगिक गतिविधियां इस का स्रोत है यह विद्युत विसर्जन से भी प्राप्त होती है।

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