mountains of sugar hidden under the sea

समुद्र के नीचे छिपे चीनी के पहाड़

दुनिया भर में कई समुद्र तटीय क्षेत्र हरे भरे घास के मैदानों के लिए उपयुक्त घर हैं। समुद्री वातावरण में उगने वाले एकमात्र फूल वाले पौधे के रूप में ये घास के मैदान एक करिश्मा की तरह हैं जिसके लिए हमे प्रकृति को धन्यवाद देना चहिए। एक वर्ग किलोमीटर समुद्री घास उतने ही क्षेत्रफल में भूमि-आधारित जंगलों की तुलना में 35 गुना तेजी से लगभग दोगुना कार्बन जमा करता है। इसका यह गुण समुद्री घास को पृथ्वी पर कार्बन डाइऑक्साइड के सबसे कुशल वैश्विक समाधान कर्ता में से एक बनाता है। स्वाभाविक रूप से समुद्री घास का यह गुण जलवायु परिवर्तन को कम करने और कार्बन भंडारण के लिए प्रमुख निहितार्थ रखता है। पंरतु यह उनके बारे में एकमात्र उल्लेखनीय गुण नहीं है बल्की उनमें कई अन्य पर्यावरणीय लाभ छुपे हुए हैं। अब हाल ही में एक नए अध्ययन से यह पता चला है की लहरों के नीचे डूबे हुए समुद्री घास के पारिस्थितिक तंत्र में चीनी (Sugar) के विशाल भंडार होते हैं जिन्हें हम पहले कभी नहीं जानते थे।

समुद्री घास द्वारा चीनी का निर्माण
समुद्री जलमग्न घास

जर्मनी के ब्रेमेन में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर मरीन माइक्रोबायोलॉजी के वैज्ञानिकों ने नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया कि समुद्री घास अपनी मिट्टी में भारी मात्रा में चीनी छोड़ते हैं, जिसे राइजोस्फीयर भी कहा जाता है। समुद्री घास के नीचे, चीनी सांद्रता अप्रत्याशित रूप से समुद्री वातावरण में पहले से मापी गई तुलना में कम से कम 80 गुना अधिक थी। कुल मिला कर यह नतीजा चौकाने वाला था। सागर के तल में मौजूद समुद्री घास में 6 से 13 लाख टन चीनी के भंडार मौजुद हो सकते हैं। यानी समुद्र में लगभग 32 अरब कोक की बोतल की मिठास के बराबर चीनी मौजूद है। यह चीनी मुख्य रूप से सुक्रोज के रूप में समुद्री घास के राइजोस्फीयर में मौजूद है।


समुद्री घास में चीनी कैसे बनती है

शोध कर्ताओं का मानना है की ऐसा इसलिए होता है क्योंकि समुद्री घास फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया के दौरान चीनी का उत्पादन करती है। इन पौधों द्वारा उत्पादित अधिकांश चीनी का उपयोग उनके चयापचय के लिए यानि औसत प्रकाश स्थितियों में ये समुद्री घास अपने मेटाबॉलिज्म के लिए अधिकांश सुक्रोज का उपयोग करते हैं। हालांकि, उच्च प्रकाश स्थितियों के दौरान ज्यादा धूप जैसे दोपहर या गर्मियों में ये पौधे अधिक चीनी का उत्पादन करते हैं जितना वे स्टोर या उपयोग नहीं कर सकते हैं जिससे अतिरिक्त सुक्रोज को फिर राइजोस्फीयर में छोड़ दिया जाता है। हाल में हुई समुद्री घास के कार्बन कैप्चर नुकसान की गणना में सामने आया कि मानव गतिविधि व घटती पानी की गुणवत्ता के कारण सुक्रोज की मात्रा घट रही है।

सूक्ष्म जीवों द्वारा उपभोग क्यों नहीं?

आपको आश्चर्य हो सकता है कि राइजोस्फीयर में अरबों लाखों सूक्ष्मजीवों द्वारा उपभोग किए जाने के बजाय सुक्रोज को समुद्र तल में क्यों संग्रहीत होने के लिए क्यों छोड़ दीया जाता है। आखिरकार जीवाणुओं को चीनी पसंद भी है क्योंकि यह पचने में आसान और ऊर्जा से भरपूर होता है। अध्ययन में लगे शोधकर्ता भी इस सवाल पर हैरान थे। परन्तु उन्हों ने इसे समझने की कोशिश में काफी समय बिताया और उन्होंने महसूस किया कि समुद्री घास, कई अन्य पौधों की तरह, उनके तलछट में फेनोलिक यौगिक भी छोड़ते हैं। फेनोलिक्स सामान्यतः रोगाणुरोधी होते हैं और अधिकांश सूक्ष्मजीवों के चयापचय को रोकते हैं। शोधकर्ताओं ने प्रयोगों में समुद्री घास से अलग किए गए फेनोलिक्स को समुद्री घास के राइजोस्फीयर में सूक्ष्मजीवों में जोड़ा और यह पाया की वास्तव में, जब कोई फेनोलिक्स मौजूद नहीं था तब की तुलना में फेनोलिक्स मौजूद होने पर रोगाणुओं द्वारा बहुत कम सुक्रोज का सेवन किया गया था।


वर्तमान स्थिति

अध्ययन में समुद्री घास के मैदानों के अत्यधिक महत्व पर प्रकाश डाला गया है। जैसा की मैंने ऊपर बताया है की समुद्री घास अच्छे कार्बन अवशोषक होते हैं जिससे इन्हें कार्बन भंडारण पावरहाउस भी कह सकते हैं। ये हमारे जलवायु संकट में मदद कर सकते हैं परंतु विभिन्न मानवीय गतिविधियों के चलते वे पृथ्वी पर सबसे अधिक संकटग्रस्त निवास स्थान बन गए हैं। यह देखते हुए कि नीला कार्बन जो कि दुनिया के महासागर और तटीय पारिस्थितिक तंत्र द्वारा अवशोषित कर लिया गया है यदि समुद्री घास समुदायों को नष्ट कर दिए जाता है तो वह कार्बन वातावरण में मुक्त हो जाए गा। यहां ना केवल समुद्री घास है, बल्कि जीवित समुद्री घास के नीचे बड़ी मात्रा में सुक्रोज भी है। इसके नष्ट होने के परिणामस्वरूप संग्रहित कार्बन का नुकसान होगा इसलिए ब्लू कार्बन इकोसिस्टम को संरक्षित करना जरूरी है।

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